ग़ज़ल - सुनो तुम आत्महत्या से कभी हित हो नहीं सकता
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कभी कभी जीवन से निराश हो चुके व्यक्ति आत्महत्या तक के बारे में सोचने लगते हैं जबकि यह किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। अभी कुछ दिनों पहले विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर मैंने एक ग़ज़ल के माध्यम से ऐसे व्यक्तियों को नकारात्मक सोच से निकल सकारात्मकता की ओर जाने का सन्देश देने का प्रयास किया गया है।
साथ ही यह भी चेष्टा रही है कि शुद्ध हिंदी के शब्दों का प्रयोग कर एक सम्पूर्ण ग़ज़ल लिखी जाए जिस से हिंदी कवि भी इस विधा की ओर आकर्षित हों। आशा करता हूँ की श्रोताओं को पसंद आएगी
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