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आत्मा का परिचय | Season 1 | aquilldriver audios |

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Aatma ka Parichay S01E01
गीता के दूसरे अध्याय में आत्मा का वर्णन है। सृष्टि, आत्मा और प्रकृति के मिलन से बनी है। आत्मा अपरिवर्तनशील, सर्वव्यापी, अजन्मा, अव्यक्त और विकार रहित है, लेकिन प्रकृति विकारवाली और परिवर्तनशील है। इस संसार में हमें, जो भी बदलाव दिखाई देता है, वह प्रकृति में होता है, आत्मा में नहीं। हां, ये बदलाव आत्मा के आधार से होता है। प्रकृति के पांच तत्व हैं : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।

ये पांचों तत्व संसार की हर वस्तु में मौजूद हैं। प्रकृति में बदलाव इन्हीं पांच तत्वों व तीन गुणों सत्व, रज और तम की वजह से होता है। गीता में जब कहा है कि आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकता, तो काटना तो पृथ्वी तत्व में होता है, जलना अग्नि तत्व से होता है, गलना जल तत्व से और सूखना वायु तत्व से होता है। ये सभी खूबियां चारों तत्वों की हैं और पांचवां तत्व आकाश है, जिसे खाली स्थान कहते हैं। बाकी चार तत्व आकाश तत्व के आधार पर ही काम करते हैं। आत्मा तो पांचों तत्वों से परे है। तो कटना, जलना, गलना व सूखना ये सब प्रकृति से बने शरीर या दूसरी वस्तुओं में ही संभव है, आत्मा में नहीं। विज्ञान में इन पांचों तत्वों का शोध होता है, लेकिन अध्यात्म आत्म तत्व को अनुभव करने प्रक्रिया है, इसलिए जहां विज्ञान समाप्त होता है, वहां से अध्यात्म शुरू होता है।

Aquilldriver Team:-

Voice- Chaitali Kesarkar
Edit & Music - Yogesh Ghole
Created by Abir Maheshwari

**Note- Content is taken from various source of religious text.creation and compilation is copyrighted under Aquilldriver llp.

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गीता के दूसरे अध्याय में आत्मा का वर्णन है। सृष्टि, आत्मा और प्रकृति के मिलन से बनी है। आत्मा अपरिवर्तनशील, सर्वव्यापी, अजन्मा, अव्यक्त और विकार रहित है, लेकिन प्रकृति विकारवाली और परिवर्तनशील है। इस संसार में हमें, जो भी बदलाव दिखाई देता है, वह प्रकृति में होता है, आत्मा में नहीं। हां, ये बदलाव आत्मा के आधार से होता है। प्रकृति के पांच तत्व हैं : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।

ये पांचों तत्व संसार की हर वस्तु में मौजूद हैं। प्रकृति में बदलाव इन्हीं पांच तत्वों व तीन गुणों सत्व, रज और तम की वजह से होता है। गीता में जब कहा है कि आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकता, तो काटना तो पृथ्वी तत्व में होता है, जलना अग्नि तत्व से होता है, गलना जल तत्व से और सूखना वायु तत्व से होता है। ये सभी खूबियां चारों तत्वों की हैं और पांचवां तत्व आकाश है, जिसे खाली स्थान कहते हैं। बाकी चार तत्व आकाश तत्व के आधार पर ही काम करते हैं। आत्मा तो पांचों तत्वों से परे है। तो कटना, जलना, गलना व सूखना ये सब प्रकृति से बने शरीर या दूसरी वस्तुओं में ही संभव है, आत्मा में नहीं। विज्ञान में इन पांचों तत्वों का शोध होता है, लेकिन अध्यात्म आत्म तत्व को अनुभव करने प्रक्रिया है, इसलिए जहां विज्ञान समाप्त होता है, वहां से अध्यात्म शुरू होता है।

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